चीखोगे-चिल्लाओगे
फिर भी कहीं भाग नही पाओगे l
आखिर में नजरे मिलानी ही पड़ेगी
तुम्हें रात से
और
तभी तुम जान पाओगे
कि रात तुम्हें निगलने नहीं
अपितु संवारने आयी थी।
तुम जो समझते नहीं थे
वो समझाने आयी थी l
तुम जो जानते नहीं थे
वो बताने आयी थी l
तुम जो सिर्फ
अपने ही रंग में
रंगे हुए थे ,
अपने ही ढंग में ढले हुए थे l
तुम पर रंग दूसरा
चढ़ाने आयी थी ,
ढंग नया तुमको
सिखाने आयी थी l
तुम जो अपने ही धुन में
आगे बढ़े जा रहे थे ,
तुम्हें जीवन के
नए पथ पर चलाने आयी थी l
"रात"!
तुम्हें अंधेरे में रोशनी की कीमत
और
रोशनी में अंधेरे की जरूरत जताने आयी थी l
©Roshani Thakur
#Night