सुनसान सड़कों पर मैं तेजी से डरी सहमी-सहमी सी चली जा रही थी,
वो अजनबी सा इक शख्स अचानक आ पहुंचा,
मैंने देखा उसे उसने देखा मुझे उसने पकड़ा हक से हाथों को मेरे,
उसने कहां मैं भाई तेरा सुनसान सड़कों पर भी तू चल बिन डरे बिंदास होकें,
मैं मुस्कुराई उसे देख तब मेरे जान में जान आई,
मैंने फिर उसे कहां हर बहन को मिले हर मोड़ पर सुनसान सी सड़क पर मिले आप जैसा भाई,
अजनबी सा वो मेरा वो भाई ना पुछा उसने मेरा धर्म ना ही पुछा मेरी जाति,
मेरे लिए किया उसने अपने समय की बरबादी,
सुनसान सड़कों पर अजनबी सा वो शख्स बनकर चल पड़ा मेरा ढाल मेरी परछाई,
ऐसा था वो मेरा अजनबी सा भाई अजनबी सा भाई,
मेरी दुआ है हर बहन को यूं मिल जाया करे सुनसान सड़कों पर इक भाई,
हर मोड़ पर हर बहन की लाज की हिफाजत करे इक अजनबी सा भाई,
अजनबी सा भाई ❤️
मेरे अल्फ़ाज़
©Rukhasar Khanam
#अजनबी सा भाई 🤝❤️