"रूठे हैं वो इस तरह से लगता है वो जिद्दी हो गयें हैं
पढ़ना चाहा था उन्हें नई किताब की तरह पर अब
लगता है वो रद्दी हो गयें हे ।
ऐं जो आज दामन पर दाग है तुम्हारे वो खुद के दिऐं हे
या दुसरों से नवाजें गयें है
चलो छोड़ो जाने देते हैं पर अब उनके लहजे मिजाज से पता लगता है वो पहले से ओर ज्यादा भद्दे हो गये हैं ।।
-:कुंवरसाहब डायरी"