हुस्न जब लाजवाब होता है खुद मे वो इंतखाब होता है l

"हुस्न जब लाजवाब होता है खुद मे वो इंतखाब होता है l जिसको चाहो वो गर न मिल पाए फिर तो जीना अज़ाब होता है l ज़ेरे लब जब वो मुस्कुराते हैं उनका चेहरा गुलाब होता है l जान दोगे तभी मिलेगी सनद इश्क ऐसा निसाब होता है रोते इंसान को हंसा देना ये भी कारे सवाब होता है l सबसे मिलते हो तुम ''वसी'' खुलकर मुझसे फिर क्यों हिजाब होता है l ---- इनायत वसी ©Enayatullah Wasi"

 हुस्न जब लाजवाब होता है
खुद मे वो इंतखाब होता है l

जिसको चाहो वो गर न मिल पाए
फिर तो जीना अज़ाब होता है l

ज़ेरे लब जब वो मुस्कुराते हैं
उनका चेहरा गुलाब होता है l

जान दोगे तभी मिलेगी सनद
इश्क ऐसा निसाब होता है 

रोते इंसान को हंसा देना
ये भी कारे सवाब होता है l

सबसे मिलते हो तुम ''वसी'' खुलकर
मुझसे फिर क्यों हिजाब होता है l

                                                  ----     इनायत वसी

©Enayatullah Wasi

हुस्न जब लाजवाब होता है खुद मे वो इंतखाब होता है l जिसको चाहो वो गर न मिल पाए फिर तो जीना अज़ाब होता है l ज़ेरे लब जब वो मुस्कुराते हैं उनका चेहरा गुलाब होता है l जान दोगे तभी मिलेगी सनद इश्क ऐसा निसाब होता है रोते इंसान को हंसा देना ये भी कारे सवाब होता है l सबसे मिलते हो तुम ''वसी'' खुलकर मुझसे फिर क्यों हिजाब होता है l ---- इनायत वसी ©Enayatullah Wasi

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