इस दिल में दफ्न हैं कई अफसाने बहार के, जहां से आज | हिंदी शायरी

"इस दिल में दफ्न हैं कई अफसाने बहार के, जहां से आज लौटे हैं कई शामें गुजार के।। छत पर लेट कर रातें गुजारी तो जाना मैंने, चांद रोशनी में नहाया है आबरू उतार के।। नीलामी करनी थी "सिपाही" अरमानों की, बदल गए हैं आज कई उसूल बजार के।। --Sipahi_Yadav ✍️"

 इस दिल में दफ्न हैं कई अफसाने बहार के,
जहां से आज लौटे हैं कई शामें गुजार के।।

छत पर लेट कर रातें गुजारी तो जाना मैंने,
चांद रोशनी में नहाया है आबरू उतार के।।

नीलामी करनी थी "सिपाही" अरमानों की,
बदल गए हैं आज कई उसूल बजार के।।
--Sipahi_Yadav ✍️

इस दिल में दफ्न हैं कई अफसाने बहार के, जहां से आज लौटे हैं कई शामें गुजार के।। छत पर लेट कर रातें गुजारी तो जाना मैंने, चांद रोशनी में नहाया है आबरू उतार के।। नीलामी करनी थी "सिपाही" अरमानों की, बदल गए हैं आज कई उसूल बजार के।। --Sipahi_Yadav ✍️

अफसाने बहार के..
#सिपाही_यादव✍️✍️
#SAD

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