White इश्क़ का वो दौर कैसा था? | हिंदी कविता

"White इश्क़ का वो दौर कैसा था? फ़िज़ा हसीन थी रंगीन ज़माने थे, हवा के झोंको में खुशबू के ठिकाने थे, बारिश की बूंदों में लबों के पैमाने थे, चाँद की रौशनी में सितारों ने ख़्वाब छेड़े, मेरी उसकी मोहब्बत के लाखों अफ़साने थे। ©Pawan Shah"

 White 
इश्क़ का वो दौर कैसा था?






फ़िज़ा हसीन थी 
रंगीन ज़माने थे,
हवा के झोंको में 
खुशबू के ठिकाने थे,
बारिश की बूंदों में
लबों के पैमाने थे,
चाँद की रौशनी में 
सितारों ने ख़्वाब छेड़े,
मेरी उसकी मोहब्बत के
लाखों अफ़साने थे।

©Pawan Shah

White इश्क़ का वो दौर कैसा था? फ़िज़ा हसीन थी रंगीन ज़माने थे, हवा के झोंको में खुशबू के ठिकाने थे, बारिश की बूंदों में लबों के पैमाने थे, चाँद की रौशनी में सितारों ने ख़्वाब छेड़े, मेरी उसकी मोहब्बत के लाखों अफ़साने थे। ©Pawan Shah

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