फिर एक दिसम्बर गुज़र रहा है
तारीखों के जीने से
कुछ चेहरे घटे , चंद यादे जुड़ी
वक़्त में,
उम्र का पंछी नित दूर और दूर
उड़ रहा है |
गुनगुनी धूप और ठिठुरी राते
जाड़ो की,
गुजरे लम्हों पर झीना झीना
पर्दा गिर रहा है।
फिर एक दिसम्बर गुजर रहा है..
#अलविदा_दिसंबर
#saurabh Chaturvedi