मिलते है जो भी हमदर्द , मुझसे मेरा दर्द बाटने.....
उनसे दुआ है , इल्तजा है , गुजारिश है.....
मेरे करीब आकर मुझे और दर्द न दे ।
करीब आकर तुम भी दूर चले जाओगे , शायद इस बात का तुम्हे कोई फर्क न पड़े.......
मग़र अपनी तन्हाई का गम हम फिर से किससे कहे और कैसे सहे ।।
मेरी कलम से