"White "उद्यमे न हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥"
(अर्थ: केवल इच्छाओं से कार्य सिद्ध नहीं होते। जैसे सोते हुए सिंह के मुख में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते, वैसे ही बिना प्रयत्न के सफलता नहीं मिलती।)
©Jitendra Giri Hindu
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