वो नज़ारा भी क्या नज़ारा था जब उसने अपनी जुल्फों को | हिंदी Shayari

"वो नज़ारा भी क्या नज़ारा था जब उसने अपनी जुल्फों को लपेटा था... सांसे थम गई थी हमारी कुछ पल के लिए जनाब उसने जब कसके हमें अपनी बाहों में समेटा था.. . ©khaali_kitab......📝"

 वो नज़ारा भी क्या नज़ारा था जब उसने अपनी जुल्फों को लपेटा था...
 सांसे थम गई थी हमारी कुछ पल के लिए जनाब                               उसने जब कसके हमें अपनी बाहों में  समेटा था..






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©khaali_kitab......📝

वो नज़ारा भी क्या नज़ारा था जब उसने अपनी जुल्फों को लपेटा था... सांसे थम गई थी हमारी कुछ पल के लिए जनाब उसने जब कसके हमें अपनी बाहों में समेटा था.. . ©khaali_kitab......📝

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