अपनो से मुंह मोड़ रहें हो तुम
गैरों से रिश्ता जोड़ रहे हो तुम।
जो दुख में तेरे साथ खड़ा था,
उसी से नाता तोड रहे हो तुम।
कहां गए थे वो लोग जब बुरा वक्त आया था।
जो तुम्हारा था अपना, उसीने मुंह छुपाया था।
देखकर तेरी गम ए जिंदगी मन भर आया था।
दुख में तेरे साथ रहा, पूरा वचन निभाया था।
जो सामिल है दुःख- सुख में,
उसका दिल तोड़ रहे हो तुम।
जो दुख में तेरे साथ खड़ा था,
उसी से नाता तोड रहे हो तुम।
करते हो ढेर सारे वादे,एक भी नहीं निभाते हो।
छोड़कर मेरी गली , गैरों के घर घुस जाते हो।
फोन लेकर हाथों में, गैरों से हस बतलाते हो।
कोई पूछे कहां हो तुम, तो अपना घर बताते हो।
हमें हटाकर राहों से,
गैरों संग दौड़ रहे हो तुम।
जो दुख में तेरे साथ खड़ा था,
उसी से नाता तोड रहे हो तुम।
उसी से नाता तोड रहे हो तुम
©Kumar Pushpendra
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