वह बचपना बत्ती है घर कि दीवारे अपनी वह गुजरे हुए व | हिंदी कविता

"वह बचपना बत्ती है घर कि दीवारे अपनी वह गुजरे हुए वक्त याद दीलाती हैं घर अपना दुख भी बताती सुख बताती वह बचपना आज भी याद दिलाती हैं दीवारे घर कि ©Shivanand Maddhisya"

 वह बचपना बत्ती है घर कि दीवारे अपनी वह गुजरे हुए वक्त याद दीलाती हैं घर अपना दुख भी बताती सुख बताती वह बचपना आज भी 
याद दिलाती हैं दीवारे घर कि

©Shivanand Maddhisya

वह बचपना बत्ती है घर कि दीवारे अपनी वह गुजरे हुए वक्त याद दीलाती हैं घर अपना दुख भी बताती सुख बताती वह बचपना आज भी याद दिलाती हैं दीवारे घर कि ©Shivanand Maddhisya

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