मुलाकात कभी हुई नही फिर भी तुमको में जानता हूँ
बचपना है थोड़ा गुस्सा है मगर दिल की हो पाक ये मानता हूं ।
तुम्हारी ये दंतुरित मुस्कान भर देती हैं जीवन में उल्लास
जब ग़म की आंधी चली बनाए रखी हैं तुमने हौंसले की आस ।
कत्थई सी आंखे जो अपने में समेटे हुए हैं किस्से कई
जब तल्क आये न पापा का फ़ोन आंखे रात भर जगती है
छोटी छोटी बातों से खुश हो मुस्कुरा वो उठती है
जब दुखी हो फिर बहुत ही घबराने लगती है
शौक़ ज्यादा ऊंचे नही है वो रखती
सोच मगर आसमाँ के पार तक कि रखती है
रिश्तों को खुद से ज्यादा महत्व वो देती है
जब दिल दुखा दे कोई सिसक कर रोती है
दुनिया की पंचायत से रहती है कोसों दूर
इंस्टा के जरिये खुद के टैलेंट को पेश करती है
सुंदर सूरत और सुंदर सीरत से खुदा ने बखूबी बख्शा है
जीवन के कई संघर्षों से अकेले अपने दम पर जीना सीखा है .
©Dr.Govind Hersal