મારું ગામડું यदि आपने :-
बखरी की कोठरी के ताखा में जलती ढेबरी देखी है।
दलान को समझा है।
ओसारा जानते हैं।
बसुला समझते हैं।
फरूहा जानते हैं।
कुदार देखे हैं।
चाय पानी किये हैं।
दतुअन किये हैं।
दुवारे पर कचहरी (पंचायत) देखी है।
राम राम के बेरा दूसरे के दुवारे पहुंच के
दिन में दाल-भात-तरकारी खाये हैं। संझा माई की किरिया का मतलब समझते हैं। रात में दिया और लालटेम जलाये हैं।
बरहम बाबा का स्थान आपको मालूम है।
डीह बाबा के स्थान पर गोड़ धरे हैं।
तलाव (ताल) के किनारे और बगइचा के बगल वाले पीपर और स्कूल के रस्ता वाले बरगद के भूत का किस्सा (कहानी) सुने हैं।
दुपहरिया मे घूम-घूम कर आम, जामुन, अमरूद खाये हैं। बारी बगइचा की जिंदगी जिये हैं.चिलचिलाती धूप के साथ लूक के थपेड़ों में बारी बगइचा में खेले हैं।
पोखरा-गड़ही किनारे बैठकर लंठई किये हैं। पोखरा-गड़ही किनारे खेत में बैठकर 5-10 यारों की टोली के साथ कुल्ला मैदान हुए हैं।
गेहूं, अरहर, मटरिया का मजा लिये हैं
अगर आपने जेठ के महीने की तीजहरिया में तीसौरी भात खाये हैं,
अगर आपने सतुआ का घोरुआ पिआ है,
अगर आपने बचपन में बकइयां घींचा है।
अगर आपने गाय को पगुराते हुए देखा है।
अगर आपने बचपने में आइस-पाइस खेला है।
अगर आपने जानवर को लेहना और सानी खिलाते किसी को देखा है। अगर आपने ओक्का बोक्का तीन तलोक्का नामक खेल खेला है।
अगर आपने घर लिपते हुए देखा है।
अगर आपने गुर सतुआ, मटर और गन्ना का रस के अलावा कुदारी से खेत का कोन गोड़ने का मजा लिया है।
अगर आपने पोतनहर से चूल्हा पोतते हुए देखा है। अगर आपने कउड़ा/कुंडा/ सिगड़ी/ कंडा तापा है। अगर आप ने दीवाली के बाद दलिद्दर खेदते देखा है।
तो समझिये की आपने एक अद्भुत ज़िंदगी जी है, और इस युग में ये अलौकिक ज़िंदगी ना अब आपको मिलेगी ना आने वाली पीढ़ी को क्योंकि आज उपरोक्त चीजें विलुप्त प्राय होती जा रही हैं
या हो चुकी हैं।
─❀⊰ 𝐉𝐨𝐢𝐧 'साइकोलॉजी फैक्ट'
©Ashraf sheikh
Village life past motivation.