White 2122 2122 2122 212
साफ़ होनी चाहिये नज़रे मिलाने के लिये
ये कला तुझमे नहीं है दिल लगाने के लिये
दर्द देते है मुहब्बत के ये अफसाने हमें
कोई साथी चाहिये अरमां भुलाने के लिये
कुछअलग इल्जाम सर मेरे लगा ऐ जाने जां
ये न काफी है जफ़ा मेरी बताने के लिये
घाव दे जितना तेरा दिलचाहे इस दिल पे मेरे
हर समय हाजिर रहेगा ये निशाने के लिये
जब तुने समझे नहीं दिलके मेरे जज्बात भी
अब बचा हीक्या तुझे फिरसे सुनाने के लिये
पास था जो मेरे खो चुका मुहब्बत में तेरी
रह गये बस अश्क आँखों से बहाने के लिये
( लक्ष्मण दावानी )
18 /12 2016
©laxman dawani
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