कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है मो

"कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है; एक प्‍यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है; तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा; मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 बेहपना मोहबतें -"

 कौन समझे ये कैसी रात है  शायद कोई राज़ की बात है मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है;
एक प्‍यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है;
तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा;
मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है।
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बेहपना मोहबतें -

कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है; एक प्‍यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है; तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा; मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 बेहपना मोहबतें -

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