बादल के पिंजरे में इक चाँद हैं कैद बैठा जैसे कैद म | हिंदी Shayari

"बादल के पिंजरे में इक चाँद हैं कैद बैठा जैसे कैद मेरा दिल जो पास हैं तेरे मैं करू बाते अपने दिल की तुझसे तो कुछ सुकून सा मिलें तू इक बारी कभी फ़ुरसत में मेरे साथ है बैठे ।। ©Kaangra Saab"

 बादल के पिंजरे में इक चाँद हैं कैद बैठा
जैसे कैद मेरा दिल जो पास हैं तेरे 

मैं करू बाते अपने दिल की तुझसे तो कुछ सुकून सा मिलें
तू इक बारी कभी फ़ुरसत में मेरे साथ है बैठे ।।

©Kaangra Saab

बादल के पिंजरे में इक चाँद हैं कैद बैठा जैसे कैद मेरा दिल जो पास हैं तेरे मैं करू बाते अपने दिल की तुझसे तो कुछ सुकून सा मिलें तू इक बारी कभी फ़ुरसत में मेरे साथ है बैठे ।। ©Kaangra Saab

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