**पहले थी देश की वीरांगना** पहले थी देश की वीरांग | हिंदी कविता Video

"**पहले थी देश की वीरांगना** पहले थी देश की वीरांगना, अब देश ही वीराना है, न्याय का गला घोटने वाले, हेवानों का जमाना है। सपनों की आंधी में खोई, रातों की चुप्प है बेताब, हर गली, हर मोड़ पर, दर्द की चुभन, चीखों की किताब वो युग चाहिए जहां द्रौपदी के लिए महाभारत और सीता के लिए रामायण हुई सिर्फ मोमबत्ती जलाने से नहीं चलेगी न्याय की सुई | किस्सो में ही बचा है न्याय सता बन गई है दरिंदगी की, देश की जमीं पर बिखरी है इज्जत नारी की जिंदगी की न्याय की राहों में बची अब सिर्फ आवाजे है संविधान के पन्नों में अब अब सिर्फ जूठे वादे है | अब भी क्या हम चुप रहेंगे, या सोच बदलेंगे अब जो कहूं उसपे मत चौंकना जहां नारी का सम्मान ना हो ऐसे देश को आने वाली पीढ़ी को नहीं सौंपना | - हिमांशु ओझा ©himanshu ojha "

**पहले थी देश की वीरांगना** पहले थी देश की वीरांगना, अब देश ही वीराना है, न्याय का गला घोटने वाले, हेवानों का जमाना है। सपनों की आंधी में खोई, रातों की चुप्प है बेताब, हर गली, हर मोड़ पर, दर्द की चुभन, चीखों की किताब वो युग चाहिए जहां द्रौपदी के लिए महाभारत और सीता के लिए रामायण हुई सिर्फ मोमबत्ती जलाने से नहीं चलेगी न्याय की सुई | किस्सो में ही बचा है न्याय सता बन गई है दरिंदगी की, देश की जमीं पर बिखरी है इज्जत नारी की जिंदगी की न्याय की राहों में बची अब सिर्फ आवाजे है संविधान के पन्नों में अब अब सिर्फ जूठे वादे है | अब भी क्या हम चुप रहेंगे, या सोच बदलेंगे अब जो कहूं उसपे मत चौंकना जहां नारी का सम्मान ना हो ऐसे देश को आने वाली पीढ़ी को नहीं सौंपना | - हिमांशु ओझा ©himanshu ojha

#Stoprape हिंदी कविता

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