शीश किरीट नही भोले के, चंद्र सुशोभित भाला है, कंठ | हिंदी भक्ति

"शीश किरीट नही भोले के, चंद्र सुशोभित भाला है, कंठ हार नही धातु का, सर्प सुसज्जित माला है, किसी वस्त्र की नही लालसा, ना वैभव की माया है, बाघाम्बर धारण करते है, रहते हैं अनिकेत शिवा, भांग धतूरा बेलपत्र से, भोले प्रसन्न हो जाते है, भक्त सभी प्रेमवस उनको, महादेव बुलाते हैं... हर हर महादेव।। ©sony"

 शीश किरीट नही भोले के,
चंद्र सुशोभित भाला है,
कंठ हार नही धातु का,
सर्प सुसज्जित माला है,

किसी वस्त्र की नही लालसा,
ना वैभव की माया है,
बाघाम्बर धारण करते है,
रहते हैं अनिकेत शिवा,

भांग धतूरा बेलपत्र से,
भोले प्रसन्न हो जाते है,
भक्त सभी प्रेमवस उनको,
महादेव बुलाते हैं...
हर हर महादेव।।

©sony

शीश किरीट नही भोले के, चंद्र सुशोभित भाला है, कंठ हार नही धातु का, सर्प सुसज्जित माला है, किसी वस्त्र की नही लालसा, ना वैभव की माया है, बाघाम्बर धारण करते है, रहते हैं अनिकेत शिवा, भांग धतूरा बेलपत्र से, भोले प्रसन्न हो जाते है, भक्त सभी प्रेमवस उनको, महादेव बुलाते हैं... हर हर महादेव।। ©sony

#हर____हर___महादेव हर हर महादेव

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