लगाता है बड़े हो रहे हैं हम पर....
अभी तक मन की मासूमियत वही हैं
जिद्दी है उसे जो चाहिए वही चाहिए,
बड़ा भोला है
छोटी चीजों में उसे खूब सारी खुशियां मिला है
कभी फूली गुब्बारों को उड़ाए
कभी गीली बारिश में मुझे भिगोए
सैतान हे ओ बहाने हजार बनाए
और खुद ही सारी उलझन सुलझाए
थोड़ा सा कच्चा है
फिर भी बहुत अच्छा है
कभी मेरी सुने तो
कभी कभी मुझे अपनी बात सुनाए
लगाता है बड़े हो रहे हैं हम पर....
अभी तक मन की मासूमियत वही हैं
©Rose rose
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