जब मैने पहली बार अपनी कई बार मांगी हुई साइकिल देखी तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं 6 साल की जब मुझे अपनी खुशी का शायद पहला एहसास हुआ था।मैं लगभग एक साल से अपनी मां से साइकिल मांग रही थी।जिस बात से पापा बेखबर थे ।मां इतनी प्यारी थी की कभी माना नही करती थी ,घर की इनकम से रूबरू नही करती थी हमेशा कह देती ला देंगे बेटा,पर एक दिन पापा ने पूछ लिया क्या खुसुर पुसुर करती रहती है ये तुम्हारे कानों में तब भी मां ने पापा को परेशान नही किया पर छोटी बहन के लिए बड़ी बहन की खुशी और सब चीजों से ज्यादा मायने रखती थी तो उसने बता दिया ।पापा दीदी को साइकिल चाहिए।और न जाने कैसे उस रोज पापा साइकिल लेकर ही घर लौटे।
©Shivani Sharma
छोटी सी कहानी मेरे बचपन की