हर बार तेरी ख्वाइशों का अंबार होता है। ना जाने कित | हिंदी कविता

"हर बार तेरी ख्वाइशों का अंबार होता है। ना जाने कितने तीर दिल के पार होता है। कहीं ना कहीं हमसे तू दूर रह जाती है। इतना चाहते है,फिर कमी कहाँ रह जाती है।"

 हर बार तेरी ख्वाइशों का अंबार होता है।
ना जाने कितने तीर दिल के पार होता है।
कहीं ना कहीं हमसे तू दूर रह जाती है।
इतना चाहते है,फिर कमी कहाँ रह जाती है।

हर बार तेरी ख्वाइशों का अंबार होता है। ना जाने कितने तीर दिल के पार होता है। कहीं ना कहीं हमसे तू दूर रह जाती है। इतना चाहते है,फिर कमी कहाँ रह जाती है।

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