सूरज का तेज भी फीका पड़ता था, जब राणा तू अपना मस्तक | मराठी Shayari Vid

"सूरज का तेज भी फीका पड़ता था, जब राणा तू अपना मस्तक ऊँचा करता था, थी राणा तुझमें कोई बात निराली, इसलिए अकबर भी तुझसे डरता था। ©Jyoti Rajput (Rj) "

सूरज का तेज भी फीका पड़ता था, जब राणा तू अपना मस्तक ऊँचा करता था, थी राणा तुझमें कोई बात निराली, इसलिए अकबर भी तुझसे डरता था। ©Jyoti Rajput (Rj)

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