White तिमिर को हाथ मलता छोड़ आया हूँ दिया इक घर म | हिंदी शायरी

"White तिमिर को हाथ मलता छोड़ आया हूँ दिया इक घर में जलता छोड़ आया हूँ चला आया हूं घर से तन को बस लेकर वहीं मन को तड़पता छोड़ आया हूँ इसी उम्मीद में कल फिर से निकलेगा मै सूरज आज ढलता छोड़ आया हूँ हमारी आँख से लूटे गए तो क्या ? हजारों ख़्वाब पलता छोड़ आया हूँ सितारा मेरी क़िस्मत का भी चमकेगा मै इक जुगनू चमकता छोड़ आया हूँ यहाँ शबनम की बूंदे भी हैं तरसाती वहाँ सावन बरसता छोड़ आया हूँ जो जाता ही नही है गांव तक मेरे नगर का वो मै रस्ता छोड़ आया हूँ कहीं पथरा न जाएं उनकी वो आँखें मै जिनको राह तकता छोड़ आया हूँ नही आया अभी तक शेर ए मक्ता है ग़ज़ल उसको जो पढ़ता छोड़ आया हूँ ©BenZil (बैंज़िल)"

 White तिमिर को हाथ मलता छोड़ आया हूँ 
दिया इक घर में जलता छोड़ आया हूँ 

चला आया हूं घर से तन को बस लेकर
वहीं मन को तड़पता छोड़ आया हूँ 

इसी उम्मीद में कल फिर से निकलेगा
मै सूरज आज ढलता छोड़ आया हूँ 

हमारी आँख से लूटे गए तो क्या ?
हजारों ख़्वाब पलता छोड़ आया हूँ 

सितारा मेरी क़िस्मत का भी चमकेगा
मै इक जुगनू चमकता छोड़ आया हूँ

यहाँ शबनम की बूंदे भी हैं तरसाती
वहाँ सावन बरसता छोड़ आया हूँ 

जो जाता ही नही है गांव तक मेरे 
नगर का वो मै रस्ता छोड़ आया हूँ 

कहीं पथरा न जाएं उनकी वो आँखें 
मै जिनको राह तकता छोड़ आया हूँ 

नही आया अभी तक शेर ए मक्ता है 
ग़ज़ल उसको जो पढ़ता छोड़ आया हूँ

©BenZil (बैंज़िल)

White तिमिर को हाथ मलता छोड़ आया हूँ दिया इक घर में जलता छोड़ आया हूँ चला आया हूं घर से तन को बस लेकर वहीं मन को तड़पता छोड़ आया हूँ इसी उम्मीद में कल फिर से निकलेगा मै सूरज आज ढलता छोड़ आया हूँ हमारी आँख से लूटे गए तो क्या ? हजारों ख़्वाब पलता छोड़ आया हूँ सितारा मेरी क़िस्मत का भी चमकेगा मै इक जुगनू चमकता छोड़ आया हूँ यहाँ शबनम की बूंदे भी हैं तरसाती वहाँ सावन बरसता छोड़ आया हूँ जो जाता ही नही है गांव तक मेरे नगर का वो मै रस्ता छोड़ आया हूँ कहीं पथरा न जाएं उनकी वो आँखें मै जिनको राह तकता छोड़ आया हूँ नही आया अभी तक शेर ए मक्ता है ग़ज़ल उसको जो पढ़ता छोड़ आया हूँ ©BenZil (बैंज़िल)

#ग़ज़ल शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी

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