बलात्कारी को तुम उसके उसके जुर्म की सजा क्या दोगे ।
जहन्नुम है किसी लड़की को जीने की दुआ क्या दोगे।
गजल,गीत,फोटो,नाम सब लिखकर बदनाम कर दिया ,
अब इससे ज्यादा तुम उसके ज़ख्मों को हवा क्या दोगे ।
मर्द को अपने मर्द होने पर सदा गुमान है इस जमाने में,
तुम किसी लड़की को अग्नि परीक्षा के सिवा क्या दोगे।
एक बलात्कार हो तो तख्ता पलट हो जाए शासन का,
जिसे तुम चैन की नींद ना दे सके उसे और भला क्या दोगे।
-अकल्पित कान्हा
©Akalpit kanha
बलात्कारी को तुम उसके उसके जुर्म की सजा क्या दोगे ।
जहन्नुम है किसी लड़की को जीने की दुआ क्या दोगे।
गजल,गीत,फोटो,नाम सब लिखकर बदनाम कर दिया ,
अब इससे ज्यादा तुम उसके ज़ख्मों को हवा क्या दोगे ।
मर्द को अपने मर्द होने पर सदा गुमान है इस जमाने में,
तुम किसी लड़की को अग्नि परीक्षा के सिवा क्या दोगे।