मैं हमदर्दी की ख़ैरातों के सिक्के मोड़ देता हूँ, जिस | हिंदी शायरी Video

"मैं हमदर्दी की ख़ैरातों के सिक्के मोड़ देता हूँ, जिस पर बोझ बन जाउँ, उसे मैं ख़ुद ही छोड़ देता हूँ। ©Arun kumar "

मैं हमदर्दी की ख़ैरातों के सिक्के मोड़ देता हूँ, जिस पर बोझ बन जाउँ, उसे मैं ख़ुद ही छोड़ देता हूँ। ©Arun kumar

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