खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं, हवा चले न चले | हिंदी Shayari Vid

"खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं, हवा चले न चले दिन पलटते रहते है | ©gudi jha "

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं, हवा चले न चले दिन पलटते रहते है | ©gudi jha

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