।।नारी~ भाग -1 ।।
नारी तू गंगा की निर्मल धारा है।
नारी तुमसे ही तो अस्तित्व हमारा है।।
नारी तू हर जीव की जीवनधारी है।
हर रूप में नारी तू सबसे न्यारी है ।।
तेरी ममता से जीवन हर्षित है।
और हर नव जीवन निर्मित है।।
तुम प्रेम की वर्षा-धारा हो ।
और बचपन की अमृतधारा हो।।
गिरा गर्त में जिसने तुम्हें नकारा है।
नारी स्वीकार करो सम्मान ये तुम्हारा है।।
।।नारी~ भाग -1 ।।
नारी तू गंगा की निर्मल धारा है।
नारी तुमसे ही तो अस्तित्व हमारा है।।
नारी तू हर जीव की जीवनधारी है।
हर रूप में नारी तू सबसे न्यारी है ।।