// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //
उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है ।
जिन्होंने देखा है अपने ज़माने का वो हर रंग,
वही है जीवन के असली आनंद का संग ।
चलते वक्त से " सफर " तो उनका आगे का है
हर बात में उनकी " सच्चाई " का वो अक्स उभरता है,
ज्यों चाँद का असर ।
खामोश रहते हैं, पर दिल में " ज्ञान " का समंदर है,
उनकी सलाहों में " जिंदगी " का असल वो सिकंदर है।
वो न हों तो घर वीरान सा अब लगता है,
उनकी मौजूदगी में हर कोना अब भी " महकता " है ।
इस " परिवार " की धरोहर उनसे ही तो है
हमारा असली " जोहर " तो हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी हैं
हरेली तिहार से एक दिन पहले
मैने अपने घर के सबसे बड़े
बुजुर्ग यानी दादाजी को खोया है...
जो मेरी हर " सोच " और " सपने " ,आदि का हिस्सा थे
©बेजुबान शायर shivkumar
// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //
उनके हाथों की लकीरों में वो " #संघर्ष " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " #अनुभव " की निशानी है ।
जिन्होंने देखा है अपने ज़माने का वो हर रंग,
वही है जीवन के असली आनंद का संग ।
चलते वक्त से " सफर " तो उनका आगे का है