"वो बारिश का मौसम वो हम दोनों का संग," नभ में चारों ओर काली बादल छाई साथ अपने बारिश की तेज बुंदे लाई, जब-जब आती बारिश खुशी से झुम जाते सारे पत्ते पेड़ की डाली
कू - कू कर कोयल सुर की मिठी ताज सजाती
टर्र-टर्र कर मेढक टर्राटे पंख फेला मोर जग को सुंदर प्यारी नाच दिखाती
सर पर तान छतरी देख किसान खेत जो पहले था सुखे मन ही मन खुब मुस्काते
रिमझिम- रिमझिम बारिश आई साथ अपने गली मुहल्ले भर- भर किचर लाई
वन जीव प्राणी के लिए खुशीयाँ अपरंपार लाई
(अभिषेक सिंह)
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