तबाही के दहलीज पर आ खड़े है
मत पूछो यारों ए मंजर क्या है।
मुस्कुराते दिखते ज़रूर हैं।
सच पूछो ए अन्दर क्या है।
गिरते नहीं दो कतरे आंसु के।
मेरी इन आंखों से बंजर क्या है।।
दर्द इतने गहरे है दिल के ।
नापे अगर तो ए समन्दर क्या है।
©मनु
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