जरा पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है नदी का स

"जरा पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है नदी का साथ दु तो समंदर रूठ जाता है अरे मोहब्बत लिखने और पड़ने में आसान दिखती है साहब, मोहब्बत को निभाने में पसीना छूट जाता हैं। ©Manoj Shukla"

 जरा पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है नदी का साथ दु तो समंदर रूठ जाता है अरे मोहब्बत लिखने और पड़ने में आसान दिखती है साहब, मोहब्बत को निभाने में पसीना छूट जाता हैं।

©Manoj Shukla

जरा पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है नदी का साथ दु तो समंदर रूठ जाता है अरे मोहब्बत लिखने और पड़ने में आसान दिखती है साहब, मोहब्बत को निभाने में पसीना छूट जाता हैं। ©Manoj Shukla

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