White एक सिंह को एक गधे ने चुनौती दे दी कि मुझसे क | हिंदी Motivation

"White एक सिंह को एक गधे ने चुनौती दे दी कि मुझसे कुश्ती कर ले। सिंह चुपचाप सरक गया। एक लोमड़ी छुप के देख रही थी, उसने शेर से कहा कि बात क्या है? एक गधे ने चुनौती दी और आप जा रहे हैं? सिंह ने कहा, मामला ऐसा है, गधे की चुनौती स्वीकार करने का मतलब मैं भी गधा। फिर दूसरी बात भी है कि गधे की चुनौती मान कर उससे लड़ना अपने को नीचे गिराना है। गधे की चुनौती को मानने का मतलब ही यह होता है कि मैं भी उसी तल का हूं। जीत तो जाऊंगा निश्चित ही, इसमें कोई मामला ही नहीं है। जीतने में कोई अड़चन नहीं है। एक झपट्टे में इसका सफाया हो जाएगा। मैं जीत जाऊंगा तो भी प्रशंसा थोड़े ही होगी कुछ लोग यही कहेंगे क्या जीते, गधे से जीते! और कहीं भूल चूक यह गधा जीत गया तो सदा सदा के लिए मान सम्मान खो जायेगा, इसलिए जा रहा हूं। .. .यह चुनौती स्वीकार करने जैसी नहीं है। मैं सिंह हूं यह स्मरण रखना जरूरी है। कुत्ते भौंकते रहते हैं, हाथी गुजर जाता है। ईन्सान का मन भी गधे जैसा है ...फालतु की चुनौतियां देता रहता है . . थोड़े दिन अगर तुम मन को चिल्लाता छोड़ दो, तो धीरे धीरे वह चिल्लाना बंद कर देता। और जिस दिन मन चिल्लाना बंद कर देता है उस दिन.. .चिंताऐ खत्म हो जाती है .. अष्टावक्र महागीता ©मलंग"

 White एक सिंह को एक गधे ने चुनौती दे दी कि मुझसे कुश्ती कर ले। सिंह चुपचाप सरक गया। 
एक लोमड़ी छुप के देख रही थी, उसने शेर से कहा कि बात क्या है? 
एक गधे ने चुनौती दी और आप जा रहे हैं? सिंह ने कहा, मामला ऐसा है, गधे की चुनौती स्वीकार करने का मतलब मैं भी गधा। फिर दूसरी बात भी है कि गधे की चुनौती मान कर उससे लड़ना अपने को नीचे गिराना है।
 गधे की चुनौती को मानने का मतलब ही यह होता है कि मैं भी उसी तल का हूं। जीत तो जाऊंगा निश्चित ही, इसमें कोई मामला ही नहीं है। 
जीतने में कोई अड़चन नहीं है। 
एक झपट्टे में इसका सफाया हो जाएगा।

 मैं जीत जाऊंगा तो भी प्रशंसा थोड़े ही होगी कुछ लोग यही कहेंगे क्या जीते, गधे से जीते! 
और कहीं भूल चूक यह गधा जीत गया तो सदा सदा के लिए मान सम्मान खो जायेगा, 
इसलिए जा रहा हूं। ..
 .यह चुनौती स्वीकार करने जैसी नहीं है।

मैं सिंह हूं यह स्मरण रखना जरूरी है।
 कुत्ते भौंकते रहते हैं, हाथी गुजर जाता है।

ईन्सान का मन भी गधे जैसा है ...फालतु की चुनौतियां देता रहता है .
. थोड़े दिन अगर तुम मन को चिल्लाता छोड़ दो, तो धीरे धीरे वह चिल्लाना बंद कर देता। 
और जिस दिन मन चिल्लाना बंद कर देता है उस दिन.. .चिंताऐ खत्म हो जाती है ..

अष्टावक्र महागीता

©मलंग

White एक सिंह को एक गधे ने चुनौती दे दी कि मुझसे कुश्ती कर ले। सिंह चुपचाप सरक गया। एक लोमड़ी छुप के देख रही थी, उसने शेर से कहा कि बात क्या है? एक गधे ने चुनौती दी और आप जा रहे हैं? सिंह ने कहा, मामला ऐसा है, गधे की चुनौती स्वीकार करने का मतलब मैं भी गधा। फिर दूसरी बात भी है कि गधे की चुनौती मान कर उससे लड़ना अपने को नीचे गिराना है। गधे की चुनौती को मानने का मतलब ही यह होता है कि मैं भी उसी तल का हूं। जीत तो जाऊंगा निश्चित ही, इसमें कोई मामला ही नहीं है। जीतने में कोई अड़चन नहीं है। एक झपट्टे में इसका सफाया हो जाएगा। मैं जीत जाऊंगा तो भी प्रशंसा थोड़े ही होगी कुछ लोग यही कहेंगे क्या जीते, गधे से जीते! और कहीं भूल चूक यह गधा जीत गया तो सदा सदा के लिए मान सम्मान खो जायेगा, इसलिए जा रहा हूं। .. .यह चुनौती स्वीकार करने जैसी नहीं है। मैं सिंह हूं यह स्मरण रखना जरूरी है। कुत्ते भौंकते रहते हैं, हाथी गुजर जाता है। ईन्सान का मन भी गधे जैसा है ...फालतु की चुनौतियां देता रहता है . . थोड़े दिन अगर तुम मन को चिल्लाता छोड़ दो, तो धीरे धीरे वह चिल्लाना बंद कर देता। और जिस दिन मन चिल्लाना बंद कर देता है उस दिन.. .चिंताऐ खत्म हो जाती है .. अष्टावक्र महागीता ©मलंग

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