तन्हा सी किसी रात में, कोई ऐसा भी इत्तफ़ाक़ हो,
पास दरिया का साहिल हो, चाँद और तुम साथ हो !
शीतल मंद बयार जब, तन-मन को आके छूने लगे,
लब रहें खामोश और, आँखों से हर इक बात हो.!
चाँदनी उतर के झील में, करने लगे स्नान जब,
भीगूं मैं तेरी बाहों में, प्रेम की बरसात हो.!
ये खयाल जो मेरी पलकों पे ठहरा है कई बरसों से,
जी लूँ इसे हकीक़त में, गर तुमसे एक मुलाक़ात हो !
©Navash2411
#rain