"ऋतु है सुहानी"
"आईं ऋतु है सुहानी,
झूमती प्रिया दिवानी,
पिया को रिझाने चली,
सज धज नार है!!
आँखों में है मनुहार,
पिया से करे गुहार,
आज कह दो कि मेरी
प्रीत ही स्वीकार है।।
प्रेम का निमंत्रण है,
सादर आमंत्रण है,
सपने सुनहरे हैं,
सोलह श्रृंगार है।
करिए स्वीकार आज,
लाली बदली मिजाज,
प्रीत में समाई एक,
अप्सरा की हार है।।"
अम्बिका झा
©Ambika Jha
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