White कल तक जो अभिमान थे, धर्म और ईमान।
व्यर्थ आज सब हो रहे, छल के हैं मेहमान।।
धर्म और ईमान सब, गुज़रे कल की बात।
अधरम का परिवार अब, करे महा उतपात।।
ओढ़े खाल सनातनी, धर्म और ईमान।
ठगते वोट तनातनी, हिन्दू है अनजान।।
©Shiv Narayan Saxena
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