जो फ़ासले थें लोगों में उन्हें यह छाते नज़दीकियों | हिंदी Shayari

"जो फ़ासले थें लोगों में उन्हें यह छाते नज़दीकियों में तब्दील कर रही हैं लगता हैं! अब बरसात हो रही हैं जुल्फें हैं भीगे-भीगे से सबके ओर यह चाय के कप जिस तरह से हमें निहार रही हैं लगता हैं! अब बरसात हो रही हैं ©R...Khañ"

 जो फ़ासले थें लोगों में उन्हें यह छाते नज़दीकियों में तब्दील कर रही हैं
लगता हैं! अब बरसात हो रही हैं

जुल्फें हैं भीगे-भीगे से सबके ओर यह चाय के कप जिस तरह से हमें निहार रही हैं
लगता हैं! अब बरसात हो रही हैं

©R...Khañ

जो फ़ासले थें लोगों में उन्हें यह छाते नज़दीकियों में तब्दील कर रही हैं लगता हैं! अब बरसात हो रही हैं जुल्फें हैं भीगे-भीगे से सबके ओर यह चाय के कप जिस तरह से हमें निहार रही हैं लगता हैं! अब बरसात हो रही हैं ©R...Khañ

#लगता#हैं!#बरसात#हो#रही#हैं🌧️

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