White मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं जो क | हिंदी Shayari

"White मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ kuu-e-yaar - यार (प्रियतम/प्रियतमा) की गली suu-e-daar- मौत की तरफ़ (दार = सूली) ©Milan Sinha"

 White मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं 

जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले 

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

kuu-e-yaar -

यार (प्रियतम/प्रियतमा) की गली

suu-e-daar-

मौत की तरफ़ (दार = सूली)

©Milan Sinha

White मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ kuu-e-yaar - यार (प्रियतम/प्रियतमा) की गली suu-e-daar- मौत की तरफ़ (दार = सूली) ©Milan Sinha

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