अल्फाज़ हैं मगर, खबर तक नही रहती अब सुबहा और शाम की | हिंदी लव

"अल्फाज़ हैं मगर, खबर तक नही रहती अब सुबहा और शाम की ऐसी लगन लग गई तुम्हारे नाम की अब तो तुम जो सोचो वो बात बन जाऊं तुम कहो तो दिन तुम कहो तो रात बन जाऊँ ©Dhiraj Kumar"

 अल्फाज़ हैं मगर, खबर तक नही रहती अब सुबहा और शाम की
ऐसी लगन लग गई  तुम्हारे नाम की 
अब तो तुम जो सोचो वो बात बन जाऊं 
तुम कहो तो दिन तुम कहो तो रात 
बन जाऊँ

©Dhiraj Kumar

अल्फाज़ हैं मगर, खबर तक नही रहती अब सुबहा और शाम की ऐसी लगन लग गई तुम्हारे नाम की अब तो तुम जो सोचो वो बात बन जाऊं तुम कहो तो दिन तुम कहो तो रात बन जाऊँ ©Dhiraj Kumar

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