तुम रात को समझते हो बिस्तर नींद का तो
मै तुम्हारी समझ में नहीं आऊंगा
मुझे सूखा पेड़ समझने वालों मै सुख भी गया
तब भी कही से फिर उग आऊंगा
तुम बस उंगलियां न उठा दिया करो बार बार
मेरे हुनर पे मेरे किरदार पे
तुम जहां शक्कर भी न बेच पाओगे
मैं वहां कड़वी निबोली बेच आऊंगा
©Pulkit Teotia
#Sad_Status