तुम रात को समझते हो बिस्तर नींद का तो मै तुम्हारी | हिंदी Shayari

"तुम रात को समझते हो बिस्तर नींद का तो मै तुम्हारी समझ में नहीं आऊंगा मुझे सूखा पेड़ समझने वालों मै सुख भी गया तब भी कही से फिर उग आऊंगा तुम बस उंगलियां न उठा दिया करो बार बार मेरे हुनर पे मेरे किरदार पे तुम जहां शक्कर भी न बेच पाओगे मैं वहां कड़वी निबोली बेच आऊंगा ©Pulkit Teotia"

 तुम रात को समझते हो बिस्तर नींद का तो 
मै तुम्हारी समझ में नहीं आऊंगा

मुझे सूखा पेड़ समझने वालों मै सुख भी गया 
तब भी कही से फिर उग आऊंगा

तुम बस उंगलियां न उठा दिया करो बार बार 
मेरे हुनर पे मेरे किरदार पे

तुम जहां शक्कर भी न बेच पाओगे 
मैं वहां कड़वी निबोली बेच आऊंगा

©Pulkit Teotia

तुम रात को समझते हो बिस्तर नींद का तो मै तुम्हारी समझ में नहीं आऊंगा मुझे सूखा पेड़ समझने वालों मै सुख भी गया तब भी कही से फिर उग आऊंगा तुम बस उंगलियां न उठा दिया करो बार बार मेरे हुनर पे मेरे किरदार पे तुम जहां शक्कर भी न बेच पाओगे मैं वहां कड़वी निबोली बेच आऊंगा ©Pulkit Teotia

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