White "साँसों की दस्तक देकर, हे मानव! तेरे लिए प्र | हिंदी Poetry

"White "साँसों की दस्तक देकर, हे मानव! तेरे लिए प्रभु ने; ज़िन्दगी का दरवाज़ा, तो था खोल दिया; घुसते-घुसते इसमें तुझे, मोह-माया ने घेर लिया। कभी मिली तुझे ठोकर, मिला तुझे कभी धोखा; कभी हँस-हँसकर जीया यहाँ, कभी जीया तू रो-रोकर; ग़र तू गिर-गिरकर संभल गया, समझो जीवन तेरा संवर गया। तन को अपने तूने, गलती का पुतला बना दिया; पर गलतियों ने तुझे रूला दिया, तो सही मार्ग भी है दिखा दिया; ग़र तू गलती करके पछता लिया, समझो कर्मों को सफल तूने बना लिया।।" ©Anjali Singhal"

 White "साँसों की दस्तक देकर,
हे मानव! तेरे लिए प्रभु ने;
ज़िन्दगी का दरवाज़ा,
तो था खोल दिया;
घुसते-घुसते इसमें तुझे,
मोह-माया ने घेर लिया।
कभी मिली तुझे ठोकर,
मिला तुझे कभी धोखा;
कभी हँस-हँसकर जीया यहाँ,
कभी जीया तू रो-रोकर;
ग़र तू गिर-गिरकर संभल गया,
समझो जीवन तेरा संवर गया।
तन को अपने तूने,
गलती का पुतला बना दिया;
पर गलतियों ने तुझे रूला दिया,
तो सही मार्ग भी है दिखा दिया;
ग़र तू गलती करके पछता लिया,
समझो कर्मों को सफल तूने बना लिया।।"

©Anjali Singhal

White "साँसों की दस्तक देकर, हे मानव! तेरे लिए प्रभु ने; ज़िन्दगी का दरवाज़ा, तो था खोल दिया; घुसते-घुसते इसमें तुझे, मोह-माया ने घेर लिया। कभी मिली तुझे ठोकर, मिला तुझे कभी धोखा; कभी हँस-हँसकर जीया यहाँ, कभी जीया तू रो-रोकर; ग़र तू गिर-गिरकर संभल गया, समझो जीवन तेरा संवर गया। तन को अपने तूने, गलती का पुतला बना दिया; पर गलतियों ने तुझे रूला दिया, तो सही मार्ग भी है दिखा दिया; ग़र तू गलती करके पछता लिया, समझो कर्मों को सफल तूने बना लिया।।" ©Anjali Singhal

"साँसों की दस्तक देकर,
हे मानव! तेरे लिए प्रभु ने;
ज़िन्दगी का दरवाज़ा,
तो था खोल दिया;
घुसते-घुसते इसमें तुझे,
मोह-माया ने घेर लिया।
कभी मिली तुझे ठोकर,
मिला तुझे कभी धोखा;

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