White सुनो सुनो.....अभी भी नाराज़ हो? नाक लाल गुस् | हिंदी Poetry

"White सुनो सुनो.....अभी भी नाराज़ हो? नाक लाल गुस्से में गुलनाज़ हो? थोड़ा मुस्कुराओ नज़रें मिलाओ अँधेरे से रौशन हो जाओ । अच्छ....पास आ कर मुस्कुरा दूंगी.....? पास जो आया मुँह न तोड़ दूंगी कर दूँ मैं रौशन रातें तुम्हारी भूली नहीं हूँ हरकत सारी । अच्छा गलती थी मैंने मांगी तो माफ़ी जो तड़प रहा ये मासूम नहीं काफी? माना भूल गया जन्मदिन तुम्हारा व्यस्त था तुम्हारे ही ख्यालों में दिन हमारा भूल गया था फूल लाना आते -आते चुभ रही है ये दूरी.....सुनो जैसे कांटे । ज्यादा सफाई न दे आते जाते वरना दूर से ही पड़ेंगे चांटे मेहबूब चले मोहब्बत निभाने भूल गए फूल लाने । ©Shubham Kumar"

 White सुनो

सुनो.....अभी भी नाराज़ हो?
नाक लाल गुस्से में गुलनाज़ हो?
थोड़ा मुस्कुराओ नज़रें मिलाओ
अँधेरे से रौशन हो जाओ ।

अच्छ....पास आ कर मुस्कुरा दूंगी.....?
पास जो आया मुँह न तोड़ दूंगी
कर दूँ मैं रौशन रातें तुम्हारी
भूली नहीं हूँ हरकत सारी ।

अच्छा गलती थी मैंने मांगी तो माफ़ी
जो तड़प रहा ये मासूम नहीं काफी?
माना भूल गया जन्मदिन तुम्हारा
व्यस्त था तुम्हारे ही ख्यालों में दिन हमारा
भूल गया था फूल लाना आते -आते
चुभ रही है ये दूरी.....सुनो जैसे कांटे ।

ज्यादा सफाई न दे आते जाते
वरना दूर से ही पड़ेंगे चांटे
मेहबूब चले मोहब्बत निभाने
भूल गए फूल लाने ।

©Shubham Kumar

White सुनो सुनो.....अभी भी नाराज़ हो? नाक लाल गुस्से में गुलनाज़ हो? थोड़ा मुस्कुराओ नज़रें मिलाओ अँधेरे से रौशन हो जाओ । अच्छ....पास आ कर मुस्कुरा दूंगी.....? पास जो आया मुँह न तोड़ दूंगी कर दूँ मैं रौशन रातें तुम्हारी भूली नहीं हूँ हरकत सारी । अच्छा गलती थी मैंने मांगी तो माफ़ी जो तड़प रहा ये मासूम नहीं काफी? माना भूल गया जन्मदिन तुम्हारा व्यस्त था तुम्हारे ही ख्यालों में दिन हमारा भूल गया था फूल लाना आते -आते चुभ रही है ये दूरी.....सुनो जैसे कांटे । ज्यादा सफाई न दे आते जाते वरना दूर से ही पड़ेंगे चांटे मेहबूब चले मोहब्बत निभाने भूल गए फूल लाने । ©Shubham Kumar

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