विश्वास कर ठोकर खाना, मानो फ़ितरत है मेरी,
बाकी दुनिया की हक़ीक़त से बेगाना नहीं हूँ मैं..
जिसे भूल कर, शान से,आगे बढ़ जायें लोग,
ऐसा कोई, गुज़रा हुअा, ज़माना नहीं हूँ मैं..
वक़्त के साथ चुना है, एक एक शब्द मैने,
कोइ पहले से लिखा, अफ़साना नहीं हूँ मैं..
बिना एड़ी का ज़ोर लगाए, समझ आ जाए,
ऐसे आसां से गीत का, तराना नहीं हूँ मैं..
सम्पूर्ण सागर समेट रक्खा है मन के भीतर,
पूरी Picture हूँ, महज़, गाना नहीं हूँ मैं..
~~अनुकृति मिश्रा.....
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