शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,होती रहती भीगी मिट्ट | हिंदी कविता

"शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,होती रहती भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है दर्द बरसात की बूँदों मेरे अन्दर बारिश में बसा करता हैहै ©Kuldeep Kuldeep "

शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,होती रहती भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है दर्द बरसात की बूँदों मेरे अन्दर बारिश में बसा करता हैहै ©Kuldeep Kuldeep

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