यू ही बैठे बैठे एक विचार आया कि आज कुछ लिखते हैं
एक लाइन महिलाओं पर एक लाइन पुरुषों पर
शब्द कटु हो सकते शायद बहुतों को पसंद ना आए
उसके लिए क्षमा..
मर्द के शब्द झूठे हो सकते हैं
पर
आंसू कभी नहीं...
एक सेल्फ रिस्पेक्ट वाली सशक्त महिला
को हमारा समाज
कभी आगे बढ़ते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकता
बात उसके चरित्र की आने लगती है...
पर समाज कितना चरित्रवान है एक बार खुद से भी पूछना चाहिए
©S shubhav
#Chhavi