"मन बंजारा भयो रे
सूना संसार पथ पथरीला रे
चलो पाँव रगडो रे
स्वपन के रंग चलो रे
घर से बैरागी हो रे
ढेरे यहाँ-वहाँ के धरो रे
बंजारन मन काहे लगे रे
संसार के गुहार में कहे सजे रे
एकल खड़े ढेरा डाले रे
मन सपनो के द्वार खड़ो रे
बंजारा भयो रे
©Kavitri mantasha sultanpuri"