तेरी बाहों में समय बीतता गया
पता भी ना चला
कब सुबह से शाम हुई
पता भी ना चला
चोट मुझको लगी
दर्द तुझको हुआ
जख्म कब भरा
पता भी ना चला
काश
जिंदगी की शाम
यूं ही ढलती रहे
तेरी बाहों में
जिंदगी का सफर
कब हो तमाम
पता भी ना चले
हंसी तेरे होठों पर
हो दिल मेरा खिले
यूं ही होती रहे
सुबह से शाम
पता भी ना चले