शाम और इंतज़ार कुछ इधर जा रहे हैं कुछ उधर जा रहे है | हिंदी Shayari
"शाम और इंतज़ार कुछ इधर जा रहे हैं कुछ उधर जा रहे हैं।
शाम हो गई है परिन्दे अपने घर जा रहे हैं।।
दिन भर सम्भाला अपनी यादों को कैसे मैसे,
अब इन्हें बस फिर आप ही नजर आ रहे हैं।"
शाम और इंतज़ार कुछ इधर जा रहे हैं कुछ उधर जा रहे हैं।
शाम हो गई है परिन्दे अपने घर जा रहे हैं।।
दिन भर सम्भाला अपनी यादों को कैसे मैसे,
अब इन्हें बस फिर आप ही नजर आ रहे हैं।