New Year 2025 ये साल मुझे अनगिनत अहसास दे गया, क | English Quotes

"New Year 2025 ये साल मुझे अनगिनत अहसास दे गया, कभी जो महसूस करने को जी चाहता था, आज उन्ही एहसासों से नफ़रत सी हो गई हैं कहा पता था जिन एहसासों से ख़ुशी अपने चरम पर थी, आज वही एक अचूक दर्द बनी हुई हैं, हा संजोया था पिछले साल भी अरमान दिल में, हर पल को महसूस करने का, कहा पता था अरमान सुर्ख हो बिखर जायेगे, अब भी जीने को जी चाहता है, पर डर लगता है कही फिर से कोई, मेरे अरमान n कुचल दे, क्या मांगू इस नए साल से पिछले घाव जो, अब तक भरे नहीं, अरमान जो खाक हो गए, चाहत जो नफरत बन गई, एहसास जो डर बन गए, इन सारे जज्बातों से मैं अकेली लड़ी हूं अब तक, न कोई साथी रहा ना हमदर्द, न दोस्त न हमराज, बनाए भी तो कैसे राज़ राज़ ही रहने देते है, अब तो उम्मीद भी डरा जाती है कि न जाने कौन सी आंधी इन्हें भी उड़ा दें। खैर ये साल को हैप्पी फेयरवेल और थैंक्स, जिसने मुझे दर्द तो दिया पर ये भी दिखाया कि कोई भी नहीं होता आपके अलावा आपको सम्हालने वाला, उसने बताया जो आपके लिए रोते हैं वो किसी और के लिए भी रोते हैं, और वो आपको कभी भी भूल सकते है। ©shalmali Shreyankar"

 New Year 2025  ये साल मुझे अनगिनत अहसास दे गया, 
कभी जो महसूस करने को जी चाहता था,
आज उन्ही एहसासों से नफ़रत सी हो गई हैं 
कहा पता था जिन एहसासों से ख़ुशी अपने चरम पर थी,
आज वही एक अचूक दर्द बनी हुई हैं,
हा संजोया था पिछले साल भी अरमान दिल में,
हर पल को महसूस करने का,
कहा पता था अरमान सुर्ख हो बिखर जायेगे,
अब भी जीने को जी चाहता है, 
पर डर लगता है कही फिर से कोई,
मेरे अरमान n कुचल दे,
क्या मांगू इस नए साल से पिछले घाव जो,
अब तक भरे नहीं, अरमान जो खाक हो गए,
चाहत जो नफरत बन गई, एहसास जो डर बन गए,
इन सारे जज्बातों से मैं अकेली लड़ी हूं अब तक,
न कोई साथी रहा ना हमदर्द, न दोस्त न हमराज,
बनाए भी तो कैसे राज़ राज़ ही रहने देते है,
अब तो उम्मीद भी डरा जाती है कि न जाने 
कौन सी आंधी इन्हें भी उड़ा दें।
खैर ये साल को हैप्पी फेयरवेल और थैंक्स,
जिसने मुझे दर्द तो दिया पर ये भी दिखाया कि 
कोई भी नहीं होता आपके अलावा आपको सम्हालने वाला,
उसने बताया जो आपके लिए रोते हैं 
वो किसी और के लिए भी रोते हैं,
और वो आपको कभी भी भूल सकते है।

©shalmali Shreyankar

New Year 2025 ये साल मुझे अनगिनत अहसास दे गया, कभी जो महसूस करने को जी चाहता था, आज उन्ही एहसासों से नफ़रत सी हो गई हैं कहा पता था जिन एहसासों से ख़ुशी अपने चरम पर थी, आज वही एक अचूक दर्द बनी हुई हैं, हा संजोया था पिछले साल भी अरमान दिल में, हर पल को महसूस करने का, कहा पता था अरमान सुर्ख हो बिखर जायेगे, अब भी जीने को जी चाहता है, पर डर लगता है कही फिर से कोई, मेरे अरमान n कुचल दे, क्या मांगू इस नए साल से पिछले घाव जो, अब तक भरे नहीं, अरमान जो खाक हो गए, चाहत जो नफरत बन गई, एहसास जो डर बन गए, इन सारे जज्बातों से मैं अकेली लड़ी हूं अब तक, न कोई साथी रहा ना हमदर्द, न दोस्त न हमराज, बनाए भी तो कैसे राज़ राज़ ही रहने देते है, अब तो उम्मीद भी डरा जाती है कि न जाने कौन सी आंधी इन्हें भी उड़ा दें। खैर ये साल को हैप्पी फेयरवेल और थैंक्स, जिसने मुझे दर्द तो दिया पर ये भी दिखाया कि कोई भी नहीं होता आपके अलावा आपको सम्हालने वाला, उसने बताया जो आपके लिए रोते हैं वो किसी और के लिए भी रोते हैं, और वो आपको कभी भी भूल सकते है। ©shalmali Shreyankar

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