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उनके यादों ने जगाया देर तक
अश्क आँखों ने बहाया देर तक
बिजलियाँ सुलग रही यूँ ज़िस्म में
चाँदनी ने फिर जलाया देर तक
यूँ बता कर उसने हमको बे वफ़ा
आज फिर हमको रुलाया देर तक
आये हसते हुए उनके बज्म में
हाले दिल रो कर बताया देर तक
उम्र भर करते रहे इंतज़ार हम
हसरतो ने आजमाया देर तक
कह सके ना जो जुबाँ से हाले दिल
ढाल गीतों में सुनाया देर तक
निकले थे पाने नई वो मंजिले
मै दुआ उनको दे आया देर तक
( लक्ष्मण दावानी )
20/12/2016
©laxman dawani
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